Tuesday, January 6, 2015

BOSS इज ऑलवेज राइट

BOSS तो BOSS होता है,
मक्खन उसे बहुत पसंद होता है..
खुद गलतियों पर गलतियां करता है,
बड़ी-बड़ी गलतियां करता है..
लेकिन दूसरों की छोटी से छोटी गलती,
BOSS को बर्दाश्त नहीं होती..
दूर मत जाइये, मेरे छोटे BOSS को देखिये,
7 दिन में कम से कम 14 गलती तो कर ही देता है..
और अपनी गलती पर हंसता भी खूब है,
लेकिन अगर मैं 14 दिन में एक भी गलती कर दूं तो
छोटा BOSS, छोटा राजन बन जाता है..
जोर-जोर से चिल्लाता है, उल्टे- सीधे आरोप लगाता है,
फिर बड़े BOSS के गुफा में चला जाता है..
फिर शुरू हो जाती है, चम्मच और मक्खन की कहानी,
लड़का बिगड़ गया है BOSS, काम में इसका मन ही नहीं लगता..
ये है - वो है, ऐसा है – वैसा है,
चल नहीं पायेगा BOSS, ऐसे चल नहीं पायेगा..
फिर बड़ा BOSS अपने गुफा रूपी केबिन से निकलता है,
बड़ा BOSS हालांकि समझदार होता है..
लेकिन छोटे BOSS का मक्खन उसके सिर चढ़कर बोलने लगता है,
तौम... तौम ऐसा करते हो, तौम... तौम वैसा करते हो..
तौमको... तौमको तो मैं अच्छा लड़का समझता था,
तौम भी औरों की तरह बन रहे हो..
दैखो... दैखो चल नहीं पाएगा, ऐसे चल नहीं पाएगा,
मुझे समझ में नहीं आता कि किधर देखूं..
चारों तरफ क्वैश्चन मार्क ही क्वैश्चन मार्क नज़र आते हैं,
नौकरी हाथ से गई सी दिखती है..
तभी अचानक BOSS के रंग बदल जाते हैं,
बोलता है मन लगाकर काम करो
दुबारा मैं तुम्हारी शिकायत सुनना नहीं चाहता..   
BOSS की अंतिम बात सुनते ही नौकरी बच जाती है
और मुंह से अपने आप निकलता है,
BOSS इज ऑलवेज राइट।

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