केविवि और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ राष्ट्रीय वेबिनार
अतुल कोठारी रहे मुख्य वक्ता, प्रो.पी.एन मिश्र विशिष्ट अतिथि, प्रो. राजकुमार रहे मुख्य अतिथि
कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने की अध्यक्षता, प्रबंधन विज्ञाव विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार रहे संयोजक
04 जून 2020.
किसी भी देश की शिक्षा व्यवस्था वहां की संस्कृति, प्रकृति और प्रगति के अनुरुप होनी चाहिए। प्रबंधन की भारतीय दृष्टि भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिए उपयोगी है। आज पर्यावरण प्रबंधन में मनुष्य विफल रहा है जबकि आज से हजारों साल पहले ही हमारे मनिषियों द्वारा पर्यावरण के लिए मंत्र लिख दिया गया। भारतीय दृष्टि यह नहीं है कि समस्या खड़ी हो जाए तो हल ढूंढो, बल्कि भारतीय दृष्टिकोण यह है कि हम लोग पहले ही प्रबंधन कर लेते हैं। ये बातें शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठारी ने महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता कही। रामायण और महाभारत जैसे धर्मग्रंथों व शिवाजी और चाणक्य के जीवन में प्रबंधन की चर्चा करते हुए कहा कि प्रबंधन के विद्यार्थियों को भगवान राम के जीवन को देखना चाहिए कि बिना पर्याप्त संसाधनों के उन्होंने महा बलशाली रावण और उसकी सेना को कैसे पराजित कर दिया? उन्होंने भगवान राम के जीवन चरित से सबको साथ लेकर चलने और ऊंच नीच का भेद-भाव न करने की सीख लेने का आह्वाहन किया।
“प्रबंध शिक्षा में भारतीय दृष्टि” विषय पर आयोजित इस सेमीनार में प्रबंध शिक्षा, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक प्रो. पी.एन. मिश्र ने बतौर विशिष्ट अतिथि अपने संबोधन में कहा कि कोरोना संकट के आज की इस भयंकर प्रकृति में पूरी दुनिया वही करने की सिफारिश कर रही है जो भारतीय संस्कृति में पहले से समाई हुई है। बाहर से आने पर घर के दरवाजे पर ही चप्पल उतारना, पैर-हाथ और मुहं धोना, थोड़ा पानी अपने ऊपर छिड़क लेना,थोड़ा पानी पी लेना ये हमारी संस्कृति में समाहित रहा है जबकि दुनिया अब इसका महत्व समझ पा रही है। भारतीय शिक्षा के संबंध में कहा कि मैकाले ने जो हमसे छिना, उससे उबरने में हम अब तक कामयाब नहीं हो सके हैं। उन्होंने धर्मग्रंथों को प्रबंधन के पाठ्यक्रम में शामिल करने का आह्वाहन किया। स्थानीय स्तर पर प्रबंधन के बारे में कहा कि हम जिनके साथ रह रहे हैं, जिनके साथ काम कर रहे हैं उनके प्रबंधन के लिए क्या कर रहे हैं, यह हमें सोचना ही होगा, इसकी अनदेखी कर आप एक सफल प्रबंधक नहीं हो सकते।
वेबिनार के मुख्य अतिथि, पंजाब विवि, चण्डीगढ़ के कुलपति प्रो.राजकुमार ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली में मानवीय पक्ष पर जोर दिया जाता है, जिसमें अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं को कम करने की बात की जाती है इसमें मानवीय पक्ष सामने आता है। मानवीय पक्ष को लेकर तमाम शोध पत्र और पुस्तके आई हैं। जबकि पाश्चात्य प्रणाली में उपभोग की बात ज्यादा होती है। भारतीय दृष्टि में प्रबंधन विज्ञान उतना ही पुराना है जितना अन्य हैं। हमारा मानना है कि हमारा प्रबंधन शास्त्र गीता पर आधारित है। जिसमें कहा जाता है कि कर्म ही पूजा है। भारतीय प्रबंधन में कर्तव्य की बात गीता से आई। हमारी संस्थाएं कहती है कि अपने प्रमोशन के बारे में चिंता मत करो, उसकी चिंता हम करेंगे। आप अपना कर्तव्य निभाईये।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में वेबिनार के मुख्य वक्ता अतुल कोठारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि आप शिक्षा के क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं उनसे हम सभी लोग परिचित भी हैं। सभी विद्वानों की बातों को रेखांकित करते हुए प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष से कहा कि इन सुझावों को आप प्रबंधन विज्ञान के पाठ्यक्रमों में शामिल कीजिये, विवि की तरफ से हर तरह की मदद की जाएगी। प्रो. शर्मा ने इस आयोजन में शामिल सभी वक्ताओं व सहभागियों का आभार जताते हुए वेबिनार के संयोजक एवं वाणिज्य एवं प्रबंधन विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो.पवनेश कुमार की इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए सराहना की।
वेबिनार के संयोजक एवं संचालक प्रो. पवनेश कुमार ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति सर्वे भवन्तु सुखिनः व अतिथि देवो भवः की रही है। हमारे मनिषियों द्वारा बताये गये अस्तेय व अपरिग्रह जैसे मार्गों पर चलने का विचार पूरे विश्व में हो रहा है। उन्होंने वेबिनार में सहभागी सभी वक्ताओं के व्यक्तित्व व कृतित्व की प्रशंसा की और उनके सुविचारों से सभी सहभागियों के लाभान्वित होने की बात कही।
इससे पूर्व वेबिनार के शुरुआत में सह-संयोजक प्रो. त्रिलोचन शर्मा ने सभी अतिथियों एवं सहभागियों का स्वागत किया और विषय के संबंध में संक्षेप में जानकारी दी। वेबिनार के सह-संयोजक डॉ.आशीष रंजन सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस वेबिनार में केविवि के प्रो. राजीव कुमार, डॉ. सपना सुगंधा, डॉ.अल्का लल्हाल, कमलेश कुमार, डॉ. दिनेश व्यास, डॉ.पाथलोथ ओंकार, शेफालिका मिश्रा, दीपक दीनकर, माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के डॉ.आदित्य मिश्रा समेत बड़ी संख्या शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी व देश के विभिन्न विवि के विद्वान ऑनलाइन उपस्थित रहे।