Thursday, June 4, 2020

संस्कृति, प्रकृति और प्रगति के अनुरुप हो शिक्षा व्यवस्था-अतुल कोठारी

 

केविवि और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ राष्ट्रीय वेबिनार

अतुल कोठारी रहे मुख्य वक्ता, प्रो.पी.एन मिश्र विशिष्ट अतिथि, प्रो. राजकुमार रहे मुख्य अतिथि

कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने की अध्यक्षता, प्रबंधन विज्ञाव विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार रहे संयोजक
04 जून 2020.
किसी भी देश की शिक्षा व्यवस्था वहां की संस्कृति, प्रकृति और प्रगति के अनुरुप होनी चाहिए। प्रबंधन की भारतीय दृष्टि भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिए उपयोगी है। आज पर्यावरण प्रबंधन में मनुष्य विफल रहा है जबकि आज से हजारों साल पहले ही हमारे मनिषियों द्वारा पर्यावरण के लिए मंत्र लिख दिया गया। भारतीय दृष्टि यह नहीं है कि समस्या खड़ी हो जाए तो हल ढूंढो, बल्कि भारतीय दृष्टिकोण यह है कि हम लोग पहले ही प्रबंधन कर लेते हैं। ये बातें शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठारी ने महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता कही। रामायण और महाभारत जैसे धर्मग्रंथों व शिवाजी और चाणक्य के जीवन में प्रबंधन की चर्चा करते हुए कहा कि प्रबंधन के विद्यार्थियों को भगवान राम के जीवन को देखना चाहिए कि बिना पर्याप्त संसाधनों के उन्होंने महा बलशाली रावण और उसकी सेना को कैसे पराजित कर दिया? उन्होंने भगवान राम के जीवन चरित से सबको साथ लेकर चलने और ऊंच नीच का भेद-भाव न करने की सीख लेने का आह्वाहन किया।

“प्रबंध शिक्षा में भारतीय दृष्टि” विषय पर आयोजित इस सेमीनार में प्रबंध शिक्षा, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक प्रो. पी.एन. मिश्र ने बतौर विशिष्ट अतिथि अपने संबोधन में कहा कि कोरोना संकट के आज की इस भयंकर प्रकृति में पूरी दुनिया वही करने की सिफारिश कर रही है जो भारतीय संस्कृति में पहले से समाई हुई है। बाहर से आने पर घर के दरवाजे पर ही चप्पल उतारना, पैर-हाथ और मुहं धोना, थोड़ा पानी अपने ऊपर छिड़क लेना,थोड़ा पानी पी लेना ये हमारी संस्कृति में समाहित रहा है जबकि दुनिया अब इसका महत्व समझ पा रही है। भारतीय शिक्षा के संबंध में कहा कि मैकाले ने जो हमसे छिना, उससे उबरने में हम अब तक कामयाब नहीं हो सके हैं। उन्होंने धर्मग्रंथों को प्रबंधन के पाठ्यक्रम में शामिल करने का आह्वाहन किया। स्थानीय स्तर पर प्रबंधन के बारे में कहा कि हम जिनके साथ रह रहे हैं, जिनके साथ काम कर रहे हैं उनके प्रबंधन के लिए क्या कर रहे हैं, यह हमें सोचना ही होगा, इसकी अनदेखी कर आप एक सफल प्रबंधक नहीं हो सकते।

वेबिनार के मुख्य अतिथि, पंजाब विवि, चण्डीगढ़ के कुलपति प्रो.राजकुमार ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली में मानवीय पक्ष पर जोर दिया जाता है, जिसमें अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं को कम करने की बात की जाती है इसमें मानवीय पक्ष सामने आता है। मानवीय पक्ष को लेकर तमाम शोध पत्र और पुस्तके आई हैं। जबकि पाश्चात्य प्रणाली में उपभोग की बात ज्यादा होती है। भारतीय दृष्टि में प्रबंधन विज्ञान उतना ही पुराना है जितना अन्य हैं। हमारा मानना है कि हमारा प्रबंधन शास्त्र गीता पर आधारित है। जिसमें कहा जाता है कि कर्म ही पूजा है। भारतीय प्रबंधन में कर्तव्य की बात गीता से आई। हमारी संस्थाएं कहती है कि अपने प्रमोशन के बारे में चिंता मत करो, उसकी चिंता हम करेंगे। आप अपना कर्तव्य निभाईये।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में वेबिनार के मुख्य वक्ता अतुल कोठारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि आप शिक्षा के क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं उनसे हम सभी लोग परिचित भी हैं। सभी विद्वानों की बातों को रेखांकित करते हुए प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष से कहा कि इन सुझावों को आप प्रबंधन विज्ञान के पाठ्यक्रमों में शामिल कीजिये, विवि की तरफ से हर तरह की मदद की जाएगी। प्रो. शर्मा ने इस आयोजन में शामिल सभी वक्ताओं व सहभागियों का आभार जताते हुए वेबिनार के संयोजक एवं वाणिज्य एवं प्रबंधन विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो.पवनेश कुमार की इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए सराहना की।

वेबिनार के संयोजक एवं संचालक प्रो. पवनेश कुमार ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति सर्वे भवन्तु सुखिनः व अतिथि देवो भवः की रही है। हमारे मनिषियों द्वारा बताये गये अस्तेय व अपरिग्रह जैसे मार्गों पर चलने का विचार पूरे विश्व में हो रहा है। उन्होंने वेबिनार में सहभागी सभी वक्ताओं के व्यक्तित्व व कृतित्व की प्रशंसा की और उनके सुविचारों से सभी सहभागियों के लाभान्वित होने की बात कही।

इससे पूर्व वेबिनार के शुरुआत में सह-संयोजक प्रो. त्रिलोचन शर्मा ने सभी अतिथियों एवं सहभागियों का स्वागत किया और विषय के संबंध में संक्षेप में जानकारी दी। वेबिनार के सह-संयोजक डॉ.आशीष रंजन सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस वेबिनार में केविवि के प्रो. राजीव कुमार, डॉ. सपना सुगंधा, डॉ.अल्का लल्हाल, कमलेश कुमार, डॉ. दिनेश व्यास, डॉ.पाथलोथ ओंकार, शेफालिका मिश्रा, दीपक दीनकर, माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के डॉ.आदित्य मिश्रा समेत बड़ी संख्या शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी व देश के विभिन्न विवि के विद्वान ऑनलाइन उपस्थित रहे।

‘कोरोना संकट के बाद उभरते रुझान, चुनौतियां और अवसर’ विषय पर दो दिवसीय वेबिनार सम्पन्न

 


वेबिनार ने भौतिक संसाधनों की कमी को दूर किया, विशेषज्ञ, शिक्षक व विद्यार्थी कर रहे ज्ञान का आदान प्रदान- केविवि कुलपति

500 से अधिक विद्यार्थियों, शिक्षकों व विशेषज्ञों ने की भागीदारी, आयोजन समिति में 50 से ज्यादा लोग रहे सक्रिय, 22 समानांतर सत्रों में करीब 350 शोध पत्रों की प्रस्तुति

प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो.पवनेश कुमार ने किया संयोजन, कहा- आगे भी जारी रहेंगे वेबिनार, टीम वर्क पर दिया जोर

30-31 मई 2020
कोरोना एक त्रासदी ही नहीं है, अवसर भी है। इंसान की फितरत है कि वह बदलाव को सहज स्वीकार नहीं करता है। लेकिन परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है। हम बदलाव नहीं कर रहे हैं तो प्रकृति हमें इसके लिए मजबूर कर रही है। समय रहते हमें इसके लिए तैयार हो पड़ा। जो बात भारत की संस्कृति में समाई हुई है वह संकट के इस दौर में पूरी दुनिया के काम आ रही है। अब सोशल डिस्टेंसिंग की बात लोगों को समझ में आने लगी है। वर्क फ्रॉम होम की संस्कृति विकसित हो रही है। इसके लिए हमें रिसर्च कल्चर भी डेवलप करने की आवश्यकता है। ये बातें महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार के उद्घाटन सत्र में बतौर विशेषज्ञ आईएमएस, गाजियाबाद के निदेशक प्रो. आलोक कुमार पाण्डेय ने कही। 

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि कोरोना की चुनौती को केविवि के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने स्वीकार करते हुए अकादमिक उत्कर्ष के कार्यों को आगे बढ़ाया है। वेबिनार के कारण हमें संसाधनों की कमी महसूस नहीं हो रही और बड़ी संख्या में विशेषज्ञ, शिक्षक और विद्यार्थी आपस में ज्ञान का आदान-प्रदान कर रहे हैं। वेबिनार के संयोजक व प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यूं तो विवि के लगभग सभी विभाग वेबिनार के माध्यम से ज्ञान का आदान-प्रदान कर रहे हैं लेकिन प्रो.पवनेश कुमार की अध्यक्षता में प्रबंधन विज्ञान विभाग वेबिनार आयोजित करने में सबसे आगे है। इसके लिए मैं इन्हें और विभाग के सभी शिक्षकों की प्रशंसा करता हूं साथ ही बधाई देता हूं।

मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, गुड़गांव के निदेशक प्रो. पवन कुमार सिंह ने अपने बीज वक्तव्य में वेबिनार के विषय को समय की आवश्यकता के अनुरुप बताया और प्रबंधन विज्ञान विभाग सहित पूरे केविवि परिवार की प्रशंसा की। वहीं वेबिनार के संयोजक व प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार ने कहा कि वेबिनार के माध्यम से विद्यार्थियों, शिक्षकों के साथ-साथ देश के जाने माने विशेषज्ञों के साथ जुड़कर ज्ञान का आदान-प्रदान करने का अवसर मिल रहा है। इसके लिए उन्होंने विशेषज्ञों व विवि प्रशासन का आभार जताया और कहा कि आगे भी इस तरह के आयोजन होते रहेंगे। शिक्षकों व विद्यार्थियों की टीम भावना से काम करने को उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों की सफलता के लिए जरुरी बताते हुए अपने सभी सहयोगियों की प्रशंसा की।

इस वेबिनार के दोनों दिन कुल मिलाकर 22 समानांतर सत्रों में लगभग 350 प्रतिभागियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किये। इन सत्रों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, संयोजकों और सह संयोजको में डॉ. बी. सिंह, डॉ. अभिजीत विश्वास, डॉ.स्वाति कुमारी, डॉ. शांतनु सौरभ, डॉ.शिवेंद्र सिंह, डॉ.सुमिता सिंकु, डॉ. नरेंद्र सिंह, डॉ.दिनेश व्यास, डॉ.अभय विक्रम सिंह, भगत सिंह कॉलेज के डॉ.हरनाम सिंह, राज.स्नातकोत्तर महाविद्यालय, झाँसी के डॉ. अरुण कुमार सोनकर, माखनलाल विवि के डॉ.आदित्य मिश्रा आदि शामिल रहे। करीब 500 प्रतिभागियों ने वेबिनार में हिस्सा लिया।

बीएयू के प्रो. एच.के.सिंह ने वेबिनार के पहले दिन तकनीकि सत्र की अध्यक्षता की, आर्यभट्ट कॉलेज,दिल्ली के डॉ. जे.के.सिंह सत्र के उपाध्यक्ष रहे, भारतीय वाणिज्य संघ के उपाध्यक्ष प्रो.मानस पाण्डेय बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे, प्रो. भगवान सिंह ने बीज वक्तव्य दिया। इस सत्र के संयोजक की भी भूमिका केविवि के प्रो. त्रिलोचन शर्मा ने निभाई, जबकि डॉ.स्वाति कुमारी ने सह-संयोजक की भूमिका निभाई। वहीं दूसरे और अंतिम दिन तकनीकि सत्र की अध्यक्षता प्रो. अविनाश डी. पाथिडिकर ने की, प्रो. विकास चौधरी उपाध्यक्ष रहे, प्रो.हरे कृष्णा सिंह, विशिष्ट अतिथि रहे, प्रो. वी.एस. सुंदरम ने मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई। डॉ. आर.जयराम ने बीज वक्तव्य दिया। केविवि के डॉ. सुब्रत राय ने संयोजक की जबकि डॉ.अल्का लल्हाल ने सह-संयोजक की भूमिका निभाई।
विवि के ओएसडी प्रशासन डॉ. पद्माकर मिश्र, डी.आर. प्रो. ज्वाला प्रसाद व सच्चिदानंद सिंह, पीआरओ शेफालिका मिश्रा व सिस्टम एनालिस्ट दीपक दीनकर आदि ने इस आयोजन पर प्रसन्नता जताई। प्रबंधन विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर कमलेश कुमार, शोधार्थी सिद्धार्थ घोष, चंदनवीर, अंकिता आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

समाचार लिखे जाने तक विवि के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा की अध्यक्षता में वेबिनार का समापन सत्र जारी था। इस सत्र में पाटलिपुत्र विवि, पटना के कुलपति प्रो.जी.सी.आर जायसवाल बतौर मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि सौराष्ट्र विवि राजकोट के प्रो. आलोक चकरवाल व बीज वक्तव्य के लिए प्रो. सुजीत कुमार दुबे आमंत्रित रहे। जबकि इस सत्र का संयोजन केविवि की डॉ.सपना सुगंधा ने किया।

‘संकट से बचना है तो भारतीय परंपराओं का अनुकरण करना होगा’


 

केविवि में ‘आत्मनिर्भर भारतः अवसर एवं चुनौतियाँ’ विषय पर वेबिनार

पद्मश्री अशोक भगत, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो.टी.एन.सिंह, व आईआईएम लखनऊ के प्रो.धर्मेंद्र सिंह सेंगर ने दिया व्याख्यान

कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने की अध्यक्षता, प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो.पवनेश कुमार रहे संयोजक
24 मई 2020
गांधी जी ने कहा था कि गांव के लोग गांव में ही रहें, स्थानीय कार्यों में संलग्न हों तो हम लोग विकास कर लेगें। लेकिन देश में औद्योगिकरण शुरु हुआ। उद्योगों के अमानवीय व्यवहार से लोग आज गांवों की ओर लौट रहे हैं। जो लोग लौट रहे हैं बहुत ही दयनीय ज़िंदगी जी रहे थे। इंसानों ने लालचवश प्रकृति का दोहन किया-शोषण किया तो प्रकृति ने भी बदला लिया और औकात बता दिया। हमें पुनः अपने मूल्यों की ओर लौटने की आवश्यकता है। तभी हम आत्मनिर्भर हो सकते हैं। देश के प्रधानमंत्री इसे महसूस कर रहे हैं और आत्मनिर्भर भारत के लिए कदम बढ़ाया है। लेकिन जो तंत्र है वह समर्पण के साथ सहयोग करे तो ही भारत आत्मनिर्भर होगा। ये बातें विकास भारती, बिशुनपुर, झारखंड के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत: अवसर एवं चुनौतियाँ’ विषय पर आयोजित वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि कही।

वेबिनार के विशिष्ट अतिथि व महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टी.एन.सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आज हम सभी लोग एक सुक्ष्म जीव के कारण लॉकडाउन हो गये हैं। दुनिया के बड़े-बड़े देश जो अपनी चौधराहट दिखाते थे, उन लोगों ने इसके आगे घुटने टेक दिये हैं। हम भारत के लोगों को भी अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है लेकिन भारत के लोगों के इरादे बहुत बड़े हैं। हम सभी भविष्य के भारत की चर्चा कर रहे हैं। आज इतनी बड़ी संख्या में जो लोग वापस घर आ रहे हैं। वे एक नये तरह की अनुभूति कर रहे हैं। ये लोग हमारी संपदा हैं। इनके ऊपर हमें गर्व करना चाहिए। गांधी जी का भी सपना था कि हर हाथ को काम मिले और जो जहां है वहीं काम मिले। गांधी जी की इच्छानुसार हर व्यक्ति स्वालंबी हो जाए तो समाधान हो सकता है। आज अगर कृषि योग्य भूमि घट रही है। फिर भी तकनीकि की मदद से हम लाभ उठा सकते हैं। जो चीजें हम दूसरी जगहों से खरीदते हैं, कोशिश होनी चाहिए आस-पास ही उसका उत्पादन हो। स्वालम्बन के लिए भारतीय चिंतन के अनुसार हमारे पास जो है उस पर स्वाभिमान होना चाहिए। उसका सकारात्मक ढंग से उपयोग करना चाहिए। आज पूरा विश्व भारत की तरफ देख रहा है। कोरोना को लेकर जो थोड़ी सी उम्मीद दिख रही है वह भारत से है। हमारे हर्बल उत्पादों में, आयुर्वेद में बहुत क्षमता है।  फार्मा सेक्टर में संभावना है। भारत समेत पूरे विश्व के आईटी सेक्टर के संचालन में भारतीयों का बहुत योगदान है। इसका केंद्र भारत बने तो अपार संभावनाएं हैं। प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए उत्पादन बढ़ाना होगा। वेंटिलेटर और मास्क हम नहीं बनाते थे। लेकिन इस दिशा में भी हमने मजबूती से कदम बढ़ा दिया है। हम लोग अपनी परंपराओं पर यकीन करें, उनका अनुसरण करें तो हम दुनिया को राह दिखा सकते हैं और आज हम लोग यह कर रहे हैं। भारत दुनिया के लोगों को हाथ जोड़कर अभिवादन करना सीखा रहा है। दुनिया को यही संदेश है कि संकट से बचना है तो भारतीय परंपराओं का अनुकरण करें। बाहर से घर आने पर हाथ-पैर धोने, चप्पल बाहर उतारने और कपड़े साफ करने जैसे काम आज संकट पड़ने पर किया जा रहा है वह काम भारत में पहले से होता आ रहा है। आज उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हम आगे बढ़ सकते हैं।

वेबिनार के मुख्य वक्ता, आईआईएम लखनऊ के प्रो.धर्मेंद्र सिंह सेंगर ने कहा कि भारत की आत्मा गांवों में रहती है। गांव का युवक आत्मनिर्भर होगा तो भारत आत्मनिर्भर होगा। जितनी बड़ी महामारी होती है बचाव तंत्र भी उतना ही मजबूत होना चाहिए। भारत में अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करना होगा और लोगों को इस पर विश्वास भी करना सीखाना होगा। जो निर्देश सरकार द्वारा दिये गये तबलीगी जमात के लोगों ने उस पर समय रहते विश्वास कर लिया होता तो कोरोना संकट के इस दौर में भी भारत में स्थिति दूसरी होती। आने वाले समय में क्लाइमेट चेंज के कारण वर्तमान संकट से भी बड़ी महामारी हो सकती है। इससे बचने के लिए हमें डिजिटल टेक्नॉलॉजी को मजबूत करना होगा। आगे कहा कि आज जो लोग शहरों से गांव लौट रहे हैं, उनके पास पैसा नहीं है! उनके गांव अगर उन्हें रोजगार देते तो वे जाते ही क्यों? वे गांव में लौटकर आ रहे हैं इसका मतलब है कि उन्हें अभी भी गांव पर विश्वास है। हम आत्मनिर्भर भारत की चर्चा कर रहे हैं। गांव का आदमी तभी आत्म निर्भर होगा जब उस पर भी कोई निर्भर हो जाए। गांव का आदमी अपने उद्यम व सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर इतना सशक्त हो जाए कि बाजार उस पर निर्भर हो जाए। इस विषय पर ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों व एनजीओ के लोगों को जाकर चर्चा करनी चाहिए और रास्ता निकालना चाहिए।

विवि के कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में इस महत्वपूर्ण विषय पर व्याख्यान देने के लिए तीनों ही विद्वान वक्ताओं एवं देशभर से जुड़े सहभागियों की प्रसंशा की। प्रो.शर्मा ने आगे कहा कि वक्ताओं ने केवल सैद्धांतिक विषयों पर प्रकाश नहीं डाला बल्कि व्यवहारिक दृष्टि भी सामने रखी। प्रो.पवनेश कुमार व उनकी टीम की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरु की गयी योजना पर इतनी सार्थक चर्चा कराने के लिए आभार जताया।

वेबिनार के संयोजक व प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि तीनों ही वक्ता अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। इन्होंने इतना सारगर्भित व सार्थक व्याख्यान दिया कि सहभागियों द्वारा उठाये गये सवालों के जवाब उसमें निहित है। प्रबंधन विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ.अल्का लल्हाल ने वेबिनार का संचालन किया जबकि सहायक प्रोफेसर डॉ.स्वाति कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर केविवि की डॉ.सपना सुगंधा, प्रो. विकास पारीक, डॉ. दिनेश व्यास, कमलेश कुमार समेत माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के डॉ.आदित्य मिश्रा समेत केविवि व देश भर के अन्य विश्वविद्यालयों से बड़ी संख्या में शिक्षक व विद्यार्थियों ने ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराई।

केविवि के 10 विद्यार्थियों ने आईबीपीएस परीक्षा में लहराया परचम, बढ़ाया चम्पारण का गौरव

File Photo
पीएनबी, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक आदि राष्ट्रीयकृत बैंकों में विशेषज्ञ अधिकारी पद पर चयन

कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने जताई प्रसन्नता, कहा- अन्य विद्यार्थियों को मिलेगी प्रेरणा

प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो.पवनेश कुमार ने विद्यार्थियों व शिक्षकों को दिया श्रेय, कहा-आगे भी जारी रहेगा सफलता का सिलसिला
22 मई 2020
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यायल के प्रबंधन विज्ञान विभाग के 10 विद्यार्थियों ने बैंकिंग के क्षेत्र में प्रतिष्ठित आईबीपीएस परीक्षा में सफलता हासिलकर न सिर्फ अपना और अपने माता-पिता का बल्कि अपने शिक्षकों, विश्वविद्यालय और पूरे चम्पारण का गौरव बढ़ाया है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस परीज्ञा में प्रबंधन विज्ञान विभाग के 10 विद्यार्थियों ने लिखित परीक्षा पास की और सभी विद्यार्थी अंतिम रुप से चयनित होने में भी सफल रहे। ये बातें केविवि के प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार ने अपने विभाग के पूर्व छात्र-छात्राओं के राष्ट्रीयकृत बैंकों में विशेषज्ञ अधिकारी के पद पर चयन पर कही। इन विद्यार्थियों में नेहा कुमारी को बैंक ऑफ इंडिया, न्यूटन कुमार, प्रिया और मनीषा को पंजाब नेशनल बैंक, राजेश कुमार, राजेश कुमार रवि, स्वास्ति सहाय, विवेक कुमार गुप्ता व मिहिर मनोहर को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और मेघा को कॉर्पोरेशन बैंक के लिए चयनित किया गया है।

विद्यार्थियों की इस सफलता पर कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि प्रबंधन विज्ञान विभाग के विद्यार्थी स्थापना के बाद से ही लगातार सफलता के नये-नये कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। कई वर्तमान व पूर्व विद्यार्थियों ने यूजीसी नेट-जेआरएफ की परीक्षाओं में सफलता हासिल की है। पूर्व विद्यार्थी देश के जाने-माने विवि में पीएचडी कर रहे हैं। कुछ पूर्व छात्राएं स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में बड़े पदों पर कार्य कर रही हैं और आज आईबीपीएस जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता हासिलकर कुल 10 विद्यार्थियों ने देश के राष्ट्रीयकृत बैंकों में सेवा का अवसर हासिल किया है। यह प्रबंधन विज्ञान विभाग समेत पूरे विश्वविद्यालय के लिए आनंद और गौरव का समय है। सफल विद्यार्थियों, उनके माता-पिता व शिक्षकों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस सफलता से विवि के अन्य विद्यार्थियों को भी प्रेरणा मिलेगी।

वहीं प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार ने कहा कि इस सफलता से हमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ, अपार प्रसन्नता जरुर हुई। हमारे विद्यार्थी बहुत ही परिश्रमी व हर सफलता के योग्य हैं। विभाग के शिक्षक विद्यार्थियों को हर चुनौती के लिए तैयार करते हैं। इन्हें सैद्धांतिक के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान भी दिया जाता है। उन्होंने विद्यार्थियों व शिक्षकों को इस सफलता का श्रेय देते हुए कहा कि विभाग के अन्य विद्यार्थी भी अपने अग्रजों से प्रेरणा ले सकते हैं और अनुशासित ढंग से अध्ययन करते हुए अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। विभाग व विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से उन्हें हर संभव सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

इस अवसर पर विवि के ओएसडी प्रशासन डॉ. पद्माकर मिश्र, प्रभारी वित्त अधिकारी प्रो. विकास पारीक, उप कुलसचिव डॉ. ज्वाला प्रसाद व सच्चिदानंद सिंह, विभाग के प्रो. सुधीर कुमार साहू, सह प्रोफेसर डॉ.सपना सुगंधा, सहायक प्रोफेसर डॉ. अल्का लल्हाल, डॉ. स्वाति कुमारी, कमलेश कुमार, अरुण कुमार, विभाग के पूर्व शिक्षक व वर्तमान में बीएचयू में कार्यरत डॉ. अभिजीत विश्वास व पूर्व में विभाग से जुड़े रहे व वर्तमान में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कार्यरत डॉ.आदित्य मिश्रा समेत जनसम्पर्क अधिकारी शेफालिका मिश्रा, विश्वविद्यालय के सिस्टम एनालिस्ट दीपक दीनकर आदि अधिकारियों व शिक्षकों ने सभी सफल विद्यार्थियों व उनके परिवार को बधाई दी। इस सफलता से पूरे विश्वविद्यालय परिवार में हर्ष व उत्साह का वातावरण है।

समृद्ध जीवन की बजाय संतुष्टिपूर्ण जीवन का आह्वाहन



भारतीय अर्थव्यवस्थाः कोविड-19 के बाद चुनौतियां व अवसर’ विषय पर वेबिनार में विशेषज्ञों ने रखे विचार

बीएचयू के प्रो.एच.पी. माथुर, पीएनबी के सुनील अग्रवाल व वरिष्ठ पत्रकार शिशिर सिन्हा ने दिया व्याख्यान

केविवि कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने की अध्यक्षता, प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार रहे संयोजक

16 मई 2020
कोविड-19 एक विश्वव्यापी संकट है। लॉकडाउन की वजह से कंपनियों में मैनुफैक्चरिंग नहीं हुई है। पहले से जो तैयार माल था उसकी बिक्री नहीं हुई। अगर सप्लाई नहीं होगी तो कोई भी कंपनी काम नहीं कर सकती है। लोगों की नौकरियां चली गयी हैं। जिनके हाथ में नौकरी है उनमें से भी बड़ी संख्या में लोगों की सैलरी कम हुई। लोग केवल जरुरी सामान खरीद रहे हैं। इससे डिमांड पर असर पड़ा है। भारत डायमंड, सीफूड, पेट्रो प्रोडक्ट, ज्वैलरी आदि चाइना को भेजता था। बाकि देशों में भी माल जाता था, वहां से भी नकारात्मक असर आया है। संकट की इस घड़ी में भी भारत के पास अवसर है। हमें शार्ट समय के लिए भी और लम्बी दौड़ के लिए भी योजना बनानी होगी। भारत में आउटसोर्सिंग हब व मैन्यूफैक्चरिंग हब तैयार करना होगा। एजुकेशन सेक्टर ऑनलाइन होने जा रहा है। डिस्टेंस एजुकेशन के क्षेत्र में बड़ा अवसर हैं। हमें परिस्थिति को समझते हुए आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उपरोक्त बातें काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के प्रबंधन विज्ञान संस्थान के प्रो.एच.पी. माथुर ने महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन विज्ञान विभाग द्वारा ‘भारतीय अर्थव्यवस्थाः कोविड-19 के बाद चुनौतियां व अवसर’ विषय पर आयोजित वेबिनार में कही।

इससे पूर्व केविवि कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रबंधन विज्ञान विभाग द्वारा महत्वपूर्ण विषयों पर लगातार वेबिनार आयोजित करने की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह स्वयं विभिन्न कार्यों में व्यस्त रहते हैं। इन आयोजनों के कारण उन्हें भी कुछ नया जानने-सुनने का अवसर मिलता है। कोरोना संकट के बीच उद्योगों के भारत आने की संभावना पर सवालिया अंदाज में कहा कि यह एक गंभीर विषय है। हमें सोचना पड़ेगा कि इसका उल्लास मनाना है या सचेत रहने आवश्यकता है? अपने संक्षिप्त संबोधन के अंत में उन्होंने वेबिनार के सभी सहभागियों का स्वागत करते हुए उन्होंने सभी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं दी।

पंजाब नेशनल बैंक, नई दिल्ली के मुख्य प्रशिक्षण अधिकारी सुनील अग्रवाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि निश्चित तौर पर संकट बड़ा है। इस समय हमें संभलकर आगे बढ़ना है। हमारी अर्थव्यवस्था बिल्कुल कमजोर नहीं हुई है, धीमी हो गयी है। सरकार द्वारा टैक्स कलेक्शन अचानक से कम हो गये हैं, खर्चे बढ़ गये हैं। हम ‘जान है तो जहान है’ से ’जान भी जहान भी’ पर आ गये हैं। इसके बाद अब जिम्मेदारी उद्योग जगत पर आ गयी है। वन नेशन वन राशन कार्ड योजना से आने वाले समय में लोगों को लाभ मिल सकता है। हमारी समस्या पापुलेशन मैनेजमेंट का न होना भी है। एक राज्य के लोग दूसरे राज्य में कितनी संख्या में हैं, क्या कर रहे हैं? इस संबंध में डेटा की आवश्यकता है। लोगों के रोजगार छूट गये हैं। लोगों के पास पैसा नहीं होगा तो खर्च नहीं करेंगे। डिमांड नहीं होगी तो प्रोडक्शन नहीं होगा। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ का पैकेज दिया है। बैंकर्स को इसे समझना होगा। जनता तक लोन पहुंचेगा तो लिक्विडिटी बढ़ेगी। शहरों से लोग गांवों में जा रहे हैं। गांवों में विकास और डिजिटलाईज करने की आवश्यकता है। वक्त की मांग है कि हम समृद्ध जीवन की बजाय संतुष्टिपूर्ण व्यवस्था की ओर जाएं।

द हिंदू बिजनेस लाइन के वरिष्ठ सहायक संपादक शिशिर सिन्हा ने अपने वक्तव्य में कहा कि राज्य सरकारों के सामने सवाल है कि संसाधन कहां से आएगा। उनके जिम्मे कुछ खर्च ऐसे होते हैं, जिन्हें वे रोक नहीं सकते। ऐसे में शराब बिक्री से पैसा अर्जित करना एक विकल्प है। कई राज्यों में शराब की बिक्री शुरु हुई तो सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गईं। होम डिलिवरी बेहतर विकल्प नज़र आया। राज्य सरकारों के ऊपर जब अतिरिक्त कमाई की बात आएगी तो शराब की ओर जा सकते हैं।
वेबिनार के संयोजक व प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो.पवनेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि सहभागियों की तरफ से पूछे गये सवालों की संख्या बता रही है कि वक्ताओं का व्याख्यान अत्यंत ज्ञानप्रद था और लोगों ने बहुत ध्यान से सुना। उन्होंने अत्यंत ही कम समय की सूचना के बावजूद सहजता से वेबिनार में सहभागी होने के लिए सभी वक्ताओं का आभार जताया। प्रबंधन विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर व वेबिनार की आयोजन सचिव डॉ. स्वाति कुमारी ने कार्यक्रम का संचालन किया। आयोजन सचिव डॉ. अल्का लल्हाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया। प्रो. सुधीर कुमार साहू, सह-संयोजक रहे जबकि सह प्रोफेसर डॉ.सपना सुगंधा ने आयोजन सचिव का दायित्व निभाया। केविवि के प्रो.राजीव कुमार, कमलेश कुमार, डॉ.दिनेश व्यास, डॉ.ओमप्रकाश गुप्ता, माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के डॉ.आदित्य कुमार मिश्रा आदि शिक्षक व बड़ी संख्या में विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित रहे।