Monday, August 3, 2020

गीता पढ़ना, सुनना और मनन करना सौभाग्य की बात- प्रभु नारायण


केविवि में वर्तमान परिदृश्य में गीता की प्रासंगिकताविषय पर वेबिनार 



 
कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा रहे संरक्षक, प्रो. पवनेश कुमार ने की अध्यक्षता

 

महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्याल के प्रबंधन विज्ञान विभाग के तत्वावधान में शनिवार को ई-विद्या व्याख्यान श्रृंखला के तहत वर्तमान परिदृश्य में गीता की प्रासंगिकताविषय पर एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया गया। महामना मालवीय मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, आरएसएस, अवध प्रांत के संचालक व वेबिनार के मुख्य वक्ता प्रभु नारायणजी ने अपने संबोधन की शुरुआत वेदव्यास द्वारा महाभारत में गीता का वर्णन करने के उपरांत कहे गये श्लोक गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः। या स्वयं पद्यनाभस्य मुखपद्याद्विनिः सृताः।। से किया। इसका अर्थ स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि गीता सुगीता करने योग्य है अर्थात श्री गीता जी को भली प्रकार पढ़कर अर्थ और भावसहित अन्तःकरण में धारण कर लेना मुख्य कर्तव्य है, जो कि स्वयं पद्यनाभ भगवान् श्री विष्णु के मुखारविन्द से निकली हुई है; अन्य शास्त्रों के विस्तार से क्या प्रयोजन है!’ उन्होंने गीता के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि गीता पढ़ना, सुनना और उस पर मनन करने का सौभाग्य सभी को नहीं मिलता। गीता की तुलना किसी धर्मग्रंथ से नहीं हो सकती है। दुनिया मानती है कि सबसे प्राचीन जो ग्रंथ है वह ऋग्वेद है। जिन वचनों का हमारे ऋषियों ने हजारों साल पहले प्रादुर्भाव किया, वही वसुधैव कुटुम्बकम के रुप में आज प्रचलित है। गीता पर केंद्रित वेबिनार कराने पर विवि प्रशासन की प्रशंसा करते हुए विद्यार्थियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि प्रो. संजीव कुमार शर्मा जैसे कुलपति, प्रो. पवनेश कुमार जैसे संगठनकर्ता और डॉ. अल्का लल्हाल जैसी सहायक प्राध्यापक और संचालक विश्वविद्यालय को मिले हैं और यह महत्वपूर्ण व्याख्यान आयोजित किया जा रहा है। आगे कहा कि गीता के प्रति मैं आपके अंदर भूख पैदा कर सकता हूं, प्यास पैदा कर सकता हूं, अगर आपके अंदर गीता के प्रति जिज्ञासा जग गई तो मैं इस व्याख्यान को सफल समझूंगा।

 

विश्वविद्यालय के कुलपति व वेबिनार के संरक्षक प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अपने संबोधन में गीता के बारे में बहुत ही विस्तार से एवं सरल शब्दों में बताते हुए कहा कि गीता को उपनिषदों के सार के रुप में देखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो महाभारत में नहीं है, वह भारत में नही है। मैं इसे प्रश्नोत्तर के रुप में देखता हूं। गीता को लेकर जनमानस में व्याप्त आस्था पर कहा कि जब कोई घटना हो जाती है तो गीता के इस श्लोक को ही याद किया जाता है- नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।। अर्थात इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकता। प्रो. शर्मा ने ज्ञान योग के अध्याय को पाठ्यक्रमों में शामिल करने की बात कही।

 

इससे पूर्व वाणिज्य एवं प्रबंधन विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता व वेबिनार के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार ने अपने संबोधन में गीता पर केंद्रित व्याख्यान आयोजित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और सहर्ष अनुमति के लिए विवि के कुलपति प्रो. शर्मा के प्रति आभार जताया। मुख्य वक्ता के बारे में कहा कि श्री प्रभु नारायण जी उ.प्र. सरकार से चीफ इंजीनियर पद से सेवानिवृत्त हैं और वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अवध प्रांत के संचालक के साथ-साथ महामना मालवीय मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। इनका गीता पर गहरा अध्ययन है और इन्होंने अनेक स्थानों पर गीता पर व्याख्यान दिया है। प्रो. पवनेश ने व्याख्यान में उपस्थित महामना मालवीय मिशन के राष्ट्रीय महासचिव हरिशंकर सिंह, चंडीगढ़ इकाई के महासचिव समेत सभी, शिक्षकों, अधिकारियों, विद्यार्थियों एवं अन्य सहभागियों का स्वागत किया एवं आभार भी जताया।

 

व्याख्यान का संचालन प्रबंधन विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. अल्का लल्हाल ने किया जबकि प्रबंधन विज्ञान विभाग के पीएचडी शोधार्थी चंदन वीर ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर केविवि के प्रो. सुधीर कुमार साहू, डॉ. सपना सुगंधा, डॉ. शिरिष मिश्रा, डॉ. स्वाति कुमारी, डॉ. दिनेश व्यास, कमलेश कुमार, डॉ.परमात्मा मिश्रा, डॉ.पाथलोथ ओंकार, डॉ.भवनाथ पाण्डेय, पीआरओ शेफालिका मिश्रा, सिस्टम एनालिस्ट दीपक दीनकर, माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के डॉ.आदित्य मिश्रा समेत बड़ी संख्या शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी व देश के विभिन्न विवि के विद्वान ऑनलाइन उपस्थित रहे।


No comments:

Post a Comment