Thursday, May 14, 2020

*केविवि के विद्यार्थियों ने 'शेयर बाज़ार में समकालीन मुद्दे' विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान में की भागीदारी*


प्रबंधन अध्ययन संस्थान, गाज़ियाबाद के निदेशक प्रो. आलोक पाण्डेय व दिल्ली विवि के सह प्रोफेसर डॉ अमित कुमार सिंह ने बतौर विशेषज्ञ की शिरकत*


*कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने दी बधाई, प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो.पवनेश कुमार ने व्याख्यान को बताया उपयोगी*

(24 अप्रैल )
महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं शिक्षकों के लिए शुक्रवार (24, april) को 'शेयर बाज़ार में समसामयिक मुद्दे' विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान में प्रो. आलोक पाण्डेय निदेशक, प्रबंधन अध्ययन संस्थान, गाज़ियाबाद और डॉ. अमित कुमार सिंह, सह प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, दिल्ली विवि, दिल्ली ने बतौर विशेषज्ञ शिरकत की। प्रो. पाण्डेय ने अपने संबोधन में शेयर बाज़ार का मतलब, प्राइमरी मार्केट, सेकेण्डरी मार्केट, म्यूचुअल फंड, रेगुलेशन, इकॉनॉमिक ग्रोथ, लो इकॉनॉमिक ग्रोथ आदि को बड़े ही सरल शब्दों में विस्तार से बताया। कोरोना जैसे वर्तमान वैश्विक संकट के प्रभाव को चार्ट और ग्राफ के जरिये समझाते हुए कहा कि अब भारत की ग्रोथ रेट 0.8 से आगे बढ़ेगी, जबकि विश्व के कई मजबूत देश शून्य से भी नीचे के ग्रोथ रेट अर्थात निगेटिव से ऊपर उठेंगे। भारत के विकास दर के बारे में कहा कि पिछले 4-5 सालों से हमारी ग्रोथ रेट गिरी है। इसके कई कारण हैं। जीएसटी के बारे में लोग समझ नहीं पा रहे हैं। जबकि अगर इसे सही से लिया जाए तो काफी विकास किया जा सकता है। प्रो. पाण्डेय ने विद्यार्थियों से बैंजेमिन ग्राहम की किताब पढ़ने का सुझाव दिया।

वहीं अपने संबोधन में डॉ. अमित ने कहा कि स्टॉक मार्केट को पढ़ते समय ठीक-ठीक वैल्यूएशन करने का गुण आना चाहिए। हम जो शेयर बेचते या खरीदते हैं उसका वैल्यू पता हो तो ही हम फायदा कमा सकते हैं। एक शेयर का जो दाम दिख रहा होता है, वास्तव में वो है या कुछ और है इसका अनुमान लगाना आवश्यक है। कभी-कभी लो इकॉनॉमिक ग्रोथ के समय में अच्छी कम्पनी का शेयर कम दिखता है और खराब कम्पनी का शेयर अच्छा दिखता है। इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों को इस बारे में जानकारी होनी चाहिए। आगे कहा कि इन्वेस्ट करते समय कम्पनी का मालिक बनकर सोचिये। कंपनियां जानती हैं कि हालत बदलते रहेंगे मानव व्यवहार नहीं बदलेंगे। उदाहरण देते हुए बताया कि टाइटन ने पहले घड़ी बेचने से शुरुआत की फिर तनिष्क ज्वैलरी की शुरुआत की और फिर चश्मा के बिजनेस में आ गई और टाइटन आई प्लस आ गया। टाइटन को आए 18 साल हो चुके हैं, उसका नाम लोगों के जेहन से नहीं जा रहा है। लोग आज भी इंवेस्टमेंट कर रहे हैं।

इस चर्चा में नागपुर से जुड़े डॉ. मनीष व्यास, डॉ. तपन घोष, प्रबंधन विभाग के शोधार्थी सिद्धार्थ घोष आदि ने कई महत्वपूर्ण सवाल भी पूछे जिनका जवाब प्रो. पाण्डेय और डॉ. अमित ने बारी-बारी से दिया। प्रो. तपन नायक के एक सवाल के जवाब में प्रो. पाण्डेय ने कहा इंडस्ट्री को अगले 1-2 साल बहुत सतर्क रहना होगा और आपको बतौर इन्वेस्टर, इंवेस्ट करते समय सिर्फ इंडस्ट्री नहीं बल्कि कम्पनी
भी देखनी है। गलत नीतियों के कारण बंद हुए उड़ीसा के वेदांता प्लांट और भोपाल के यूनियन कार्बाईड कम्पनी का उदाहरण देते हुए कहा कि आप जिस कम्पनी में इन्वेस्टमेंट करने जा रहे हैं उसका एनुवल रिपोर्ट जरुर पढ़िये। गौर कीजिये कि वे कोई बड़ा कर्ज तो नहीं लिये हैं। कानून का पालन तो कर रहे हैं!

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अपने संदेश में प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इस कठिन दौर में भी विवि के विद्यार्थियों को घर बैठे ही शेयर बाजार के विभिन्न पहलूओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई। प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्ययक्ष, शिक्षकगण एवं विद्यार्थी इसके लिए बधाई के पात्र हैं।

वहीं प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार ने कहा कि यह व्याख्यान विद्यार्थियों, शोधार्थियों के साथ ही साथ हम सभी शिक्षकों के लिए भी बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है। कोरोना जैसे वैश्विक संकट के दौर में शेयर बाजार में किस तरह निवेश करना है, आगे क्या स्थिति रहेगी, देश के आर्थिक विकास पर इसका क्या असर पड़ेगा इन बिंदुओं पर सभी को संतोषजनक जानकारी मिली है। प्रो. पवनेश ने इसके लिए प्रो. पाण्डेय और डॉ. अमित का ह्रदय से आभार भी जताया। इस ऑनलाइन व्याख्यान को अपनी सक्रिय उपस्थिति से सफल बनाने के लिए उपस्थित शिक्षकों, विद्यार्थियों और शेयर बाजार में रुचि रखने वाले सहभागी विद्वानों का भी आभार जताया। विद्यार्थियों-शोधार्थियों की तरफ से सिद्धार्थ घोष ने दोनों विशेषज्ञ व्याख्याताओं का आभार जताया साथ ही कार्यक्रम को बहुत ही उपयोगी बताया। इस ऑनलाइन व्याख्यान में प्रो. तपन नायक, डॉ. सपना सुगंधा, डॉ. दिनेश व्यास, कमलेश कुमार आदि शिक्षक, शशि रंजन, अविनाश कुमार, रौशन कुमार, अंकित वर्मा, देवाशीष राज, दीपू सिंह, हर्षवर्धन, कन्हाई शर्मा, शैलेष सिंह, श्वेता कुमारी, श्यामली कुमारी समेत बड़ी संख्या में शिक्षकों, विद्यार्थियों एव शोधार्थियों ने सहभागिता की।

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