‘ई-लर्निंगः चुनौतियां एवं अवसर’ विषय पर वेबिनार में विशेषज्ञों ने रखे विचार
*प्रो.आलोक कुमार चक्रवाल, प्रो.डी.बी. सिंह, प्रो.बिजय भुजबल व प्रो.रिपुदमन गौर ने दिया व्याख्यान*
*केविवि कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा रहे संरक्षक, प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार ने की अध्यक्षता*
(12 मई 2020)
महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय में मंगलवार को ‘ई-लर्निंगः चुनौतियां एवं अवसर’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, गुजरात के वाणिज्य एवं व्यापार प्रबंधन विभाग के प्रो.आलोक कुमार चक्रवाल ने प्रथम विशेषज्ञ के तौर पर अपने संबोधन में कहा कि निश्चित तौर पर यह समय चुनौती भरा है लेकिन यह हमारे लिए बहुत बड़ा अवसर भी है। भारत के संदर्भ में कहा कि सूचना एवं संचार क्रांति के इस दौर में सीखने और सीखाने की स्थिति बहुत अच्छी है। हम भारतीय बहुत तेजी से सीखने की क्षमता रखते हैं। कुछ तकनीकी समस्याएं जरुर सामने आती हैं। कुछ स्थानों पर बिजली की समस्या रहती है इसके बावजूद हम बहुत तेजी से आगे बढ़ने जा रहे हैं। ई-लर्निंग का भविष्य बहुत उज्जवल है। पिछले 50 दिनों में हमने देखा कि किस तरह हम ऑनलाइन लर्निंग के अभ्यास कर रहे हैं और सफल हो रहे हैं। विद्यार्थियों को ई-लर्निंग के लिए उत्साह बनाए रखने के लिए कहा कि शिक्षकों को बेस्ट स्टडी मैटेरियल उपलब्ध कराना होगा। पूरी एनर्जी के साथ उनसे जुड़ना पड़ेगा और अपने आउटडेटेड नॉलेज से बाहर आना पड़ेगा।
इससे पूर्व वेबिनार के संरक्षक, विवि के कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि लॉकडाउन जैसी व्यवस्था में जो कुछ भी नया-सृजनात्मक किया जा सकता है केविवि में किया जा रहा है। वेबिनार का महत्व बताते हुए कहा कि यह किसी एक विषय से संबंधित नहीं है बल्कि उच्च शिक्षा के सभी आयामों से संबंधित है। उन्होंने आह्वाहन किया कि उच्च शिक्षा में विद्वानों को ई-माध्यमों से जोड़कर, उनके विचारों को और अधिक फैलाएं, जिससे चर्चा आगे बढ़े। वेबिनार में 150 से ज्यादा लोगों के जुड़ने पर प्रसन्नता जताते हुए वेबिनार के संयोजक व प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार व विभाग के सभी शिक्षकों की सराहना की। आगे कहा कि वर्तमान परिस्थिति में विवि के शिक्षकों ने सकारात्मक और सार्थक मार्ग चुनने का काम किया है।
वहीं राजर्षि प्रबंध एवं तकनीकी संस्थान, वाराणसी के निदेशक प्रो.डी.बी. सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में हम जो कुछ कर रहे हैं यह हमारी प्रतिक्रिया है। हम ई-लर्निंग की तरफ जा रहे हैं यह च्वाइस का मामला नहीं है। समय के अनुसार हमें अपने माइंडसेट को चेंज करने की आवश्यकता है। ई-लर्निंग के बारे में कहा कि लॉकडाउन से पहले भी ई-लर्निंग का महत्व था, लॉकडाउन के दौरान भी इसका महत्व है और बाद में भी ऑनलाइन लर्निंग का महत्व रहेगा। आगे कहा कि ई-लर्निंग को सफल बनाने में अनुशासन का होना जरुरी है। उसके बिना यह प्रणाली सार्थक नहीं है।
सेंचुरियन तकनीकी एवं प्रबंधन विश्वविद्यालय, उड़ीसा के प्रबंधन संस्थान के निदेशक प्रो. बिजय भुजबल ने ई-लर्निंग को समय की मांग बताते हुए कहा कि आज अध्ययन-अध्यापन के लिए कई ऐप हैं। ई-लर्निंग का अधिकतम लाभ लेने के लिए शिक्षकों को अभिनव प्रयोग करने होंगे और बच्चों को इंगेज रखना होगा। बच्चे अलग-अलग भौगोलिक परिवेश से आते हैं। सबकी क्षमता एवं रुचि को समझकर ही अध्यापन किया जा सकता है। उन्होंने टीचिंग को एक्टिंग की तरह बताते हुए अध्यापकों से अपने पेशे में परफारमेंस देने की बात कही।
वहीं जीएल बजाज प्रबंधन एवं तकनीकी संस्थान, ग्रेडर नोएडा के प्रो.रिपुदमन गौर ने अपने वक्तव्य में कहा कि एक समय था जब मोबाइल को विवि में बंद किये जाते थे और आज ऐसा समय आ गया है कि मोबाइल से ही विवि चल रहे हैं। इस तकनीकी से तालमेल बैठाना होगा। जिस तरह से हम तेजी से ई-लर्निंग की तरफ शिफ्ट हुए हैं, उसी तरह हमें बच्चों को दिये जा रहे स्टडी मैटेरियल को भी समयानुकुल करना होगा। आगे कहा कि टीचर केवल इनफार्मेशन प्रोवाइड नहीं करता, चरित्र भी निर्माण करता है। अध्यापकों की जिम्मेदारी कहीं ज्यादा है। जब आप ई लर्निंग की तरफ जा रहे हैं तो इंटरैक्शन का तरीका विकसित करना होगा। आपको लर्नर के समझने का तरीका व क्षमता मालूम होना चाहिए। अध्यापक टीवी की तरह नहीं बोल सकते। हमें 50 मिनट लेक्चर देने की आदत बनी हुई है। स्टूडेंट के व्यवहार एवं आवश्यकता को देखते हुए इसे मिनिमाइज करना पडेगा। 50 मिनट से हमें लेक्चर का पीरियड 30 मिनट करना होगा। अध्यापकों को अपने कम्फोर्ट जोन से बाहर आकर बच्चों की उनकी रुचि के अनुसार इंगेज करना होगा। तभी हम ई-लर्निंग का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
वेबिनार के अध्यक्ष व प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार ने कहा कि बहुत ही खुशी की बात है कि देश के विभिन्न क्षेत्रों व विवि से 150 से ज्यादा लोग सहभागिता कर रहे हैं। सभी व्याख्याता अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। इनके वक्तव्यों से शिक्षकों व विद्यार्थियों दोनों को बहुत लाभ मिलेगा। वेबिनार की संयोजक सह-प्रोफेसर सपना सुगंधा ने कार्यक्रम का संचालन किया। वहीं सहायक प्रोफेसर डॉ. स्वाति कुमारी ने सभी व्याख्याताओं व सहभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस वेबिनार में केविवि के प्रो.राजीव कुमार, प्रो. अजय कुमार गुप्ता, प्रो. सुधीर कुमार साहू, डॉ. दिनेश व्यास, कमलेश कुमार व माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के डॉ.आदित्य कुमार मिश्रा समेत बड़ी संख्या में शिक्षकों व विद्यार्थियों ने उपस्थिति दर्ज कराई।
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