प्रो. तृप्ति बर्थवाल, डॉ. संगीता साहू, प्रो.अमरेंद्र पी.सिंह, नुपुर रस्तोगी व अभिषेक मिश्रा ने पॉजिटिव रहने के सिखाए गुर
प्रो. पवनेश कुमार ने की अध्यक्षता, बड़ी संख्या में अध्यापक व विद्यार्थी रहे मौजूद
कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने जताई प्रसन्नता, कहा-पॉजिटिव सोच हर परिस्थिति में सहायक
(4 मई 2020)
महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन विज्ञान विभाग द्वारा सोमवार को ‘विषम समय में सकारात्मक कैसे रहें’ विषय पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। एचपीसीएल, मित्तल एनर्जी लिमिटॉ नोएडा के डिप्टी मैनेजर अभिषेक मिश्रा ने अपने व्याख्यान में कहा कि वर्तमान समय में हम सभी लोग असामान्य परिस्थिति से गुजर रहे हैं। इस परिस्थिति में लोगों में तनाव होना स्वाभाविक है। सभी के तनाव का स्तर अलग-अलग है। तनाव से निपटने के लिए ये समझना ज़रुरी है कि तनाव होता क्या है, कितने प्रकार का होता है, तनाव चर्चा का बड़ा मुद्दा क्यों है और स्ट्रेस मैनेजमेंट क्यों महत्वपूर्ण हो जाता है? आगे बताया कि तनाव का बड़ा कारण कार्य की मांग, हर वक्त अपना चलाते रहना, अत्याधुनिक गजट का बढ़ता उपयोग है। भारत में बड़ी आबादी तनाव को हल्के में लेती है और इससे निपटने के लिए प्रोफेशनल के पास नहीं जाती। प्रतियोगिता के इस युग में लोगों में जॉब सिक्योरिटी, मनी प्राब्लम, रिलेशन प्राब्लम या पर्सनल हेल्थ जैसे मुद्दों को लेकर तनाव रहता है। इसके प्रभाव में आकर लोग अपने परिवार के सदस्य से या दोस्त तक से लड़ जाते हैं। अगर इससे सही से न निपटा जाए तो यह बहुत सारी बीमारियों की जड़ हो सकती हैं। इससे कई स्तरों पर निपटना होता है। अगर आप कामकाजी हैं, आपके पास काम ज्यादा है तो टाइम मैनेजमेंट करना होगा। टाइम मैनेजमेंट केवल प्रोफेशनल्स के लिए नहीं बल्कि विद्यार्थी के लिए भी जरुरी है। आपको काम को कई कैटेगरी में बांटना होगा जैसे- अर्जेंट बट नॉट इम्पार्टेंट, इम्पार्टेंट बट नॉट अर्जेंट, नॉट अर्जेंट नॉट इम्पार्टेंट आदि। आपको अपना गोल तय करके आगे बढ़ना होगा। अपनी सोच को पॉजिटिव सोच रखना जरुरी है। तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन बहुत जरुरी है। इसके साथ ही कुछ हल्के व्यायाम, हेल्दी डाइट और फ्रेंड्स व कलीग के साथ जुड़ाव काफी मददगार साबित हो सकता है। लॉकडाउन जैसी कठिन परिस्थिति में रचनात्मक ढंग से अपने स्किल को बनाना चाहिए।
लाल बहादुर शास्त्री प्रबंधन संस्थान, लखनऊ की प्रो. तृप्ति बर्थवाल ने अपने व्याख्यान में कहा कि लॉकडाउन ही नहीं इंसान को हर परिस्थिति में पॉजिटिव एट्टिट्यूड रखना चाहिए। पॉजिटिव एट्टिट्यूड के बारे में बहुत सारी किताबें, विडियो, गीत-गजल मौजूद हैं। इसके बारे में नया कहना बहुत मुश्किल है। पॉजिटिव एट्टिट्यड सुनने में बड़ा अच्छा लगता है लेकिन लोग इस पर कायम क्यों नहीं रह पाते हैं। आगे कहा कि किसी भी परिस्थिति में घबराने की बजाय पॉजिटिव ढंग से समाधान की ओर बढ़ना चाहिए। एक उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे पूर्वज जंगल में रहते थे। उन्हें रात में सोने के समय ही नहीं बल्कि दिन में जगे रहने पर भी अलर्ट रहना पड़ता था। हम भूल जाते हैं कि हमारे पूर्वज उतने खराब स्थिति से हमें यहां तक ला सकते हैं तो आज तो हम शारीरिक, मानसिक और भौतिक रुप से काफी विकास कर चुके हैं। आज हम पॉजिटिव सोच से आगे बढ़ते हुए कठिन से कठिन परिस्थिति से मुकाबला कर सकते हैं। आगे कहा कि पॉजिटिव सोच के अलावा आपके पास दूसरा विकल्प क्या है? उन्होंने दलाई लामा, राम-कृष्ण आदि विशिष्ट जनों व देवी-देवताओं का जिक्र करते हुए समझाया कि कठिन परिस्थिति सबके जीवन में आती है और उसका मुकाबला पॉजिटव रहकर ही किया जा सकता है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विवि, अमरकंट के प्रो. अमरेंद्र पी सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि खुश रहना और पॉजिटिव रहना क्यों जरुरी है और कैसे हम हर परिस्थित में खुश और पॉजिटिव रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर नकारात्मक ही बयां करते हैं कि मेरे साथ ये हो गया, दुनिया में सब खराब है। जबकि हकीकत ये है कि दुनिया में ऊंच-नीच होती रहती है। आप एक्सेप्टेंस बढ़ाएंगे तो ही आप खुश रह पाएंगे। खुशी और पॉजिटिविटी अपने आप नहीं आती, आपको प्रोग्रामिंग करना होगा। संसार में दुखी रहना कोई नहीं चाहता फिर ज्यादातर समय खुश वही रहता है जो खुश रहने का प्रयत्न करता है। नकारात्मक पहलू पर फोकस करियेगा तो नकारात्मकता को ही आकर्षित कीजियेगा। इसलिए हंसने-मुस्कुराने की आदत डालिए। कहना गलत नहीं होगा कि हंसने वाले के साथ दुनिया हंसती है और रोने वाले के साथ कोई नहीं रोता। लॉकडाउन के बारे में कहा कि ये बुरी परिस्थिति है लेकिन ज़रा सोचिये कि अगर ये परिस्थिति न होती तो आज जिन लोगों से मैं मिल रहा हूं, नहीं मिल पाता और ये वेबिनार भी नहीं होता। अंत में कहा कि दुनिया में सबकुछ बुरा नहीं है। जो भी निगेटिव चीजें आती हैं उसे पॉजिटिव ढंग से निपटिये। जो चीज आप कंट्रोल नहीं कर सकते, उसके पीछे मत भागिये। अपने एट्टीट्यूड को कंट्रोल कीजिये। अपनी खुशी के लिए आप खुद जिम्मेदार बनिये। किसी और को अधिकार मत दीजिये कि वो आपको दुखी करे।
बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग, लखनऊ विवि की डॉ. संगीता साहू ने अपने व्याख्यान की शुरुआत समय के महत्व को बताते हुए की। रामायण का जिक्र करते हुए कहा कि धारावाहिक शुरु होता है तो मैं समय हूं कहकर शुरु होता है। आगे कहा कि आज समय कोविड-19 का है। लोग लॉकडाउन में रहने को मजबूर हैं। इस परिस्थिति में हम क्या अच्छा कर सकते हैं इस बारे में फोकस करने की आवश्यकता है। केवल बीते हुए कल को याद करके समय नष्ट मत कीजिये, केवल भविष्य की चिंता में मत रहिए बल्कि जो समय अभी चल रहा है, उसका पॉजिटिव ढंग से उपयोग करके आगे बढ़िये। कोई भी व्यक्ति अपनी सोच, धारणाओं के नजरिये से समय को देखता है। टाइम ओरिएंटेश में हमें दो तरह के अंतर देखने को मिलते हैं। टाइम मैनेजमेंट बहुत जरुरी है। चित्र के ज़रिये उन्होंने समझाया कि दो तरीके से टाइम मैनेजमेंट किया जाता है। पहला इम्पॉर्टेंट एक्टिविटि और दूसरा अर्जेंट एक्टिविटी। जो अर्जेंट काम होता है उसमें तुरंत रेस्पांस की मांग रहती है। आप अपना गोल सेट कीजिये डेडलाइन सेट कीजिये, पॉजिटिव ढंग से आगे बढ़िये। आप खुश रहेंगे और अपना लक्ष्य हासिल करेंगे।
आभार आरा लाइफ स्किल्स, नोएडा की को-फाउंडर व निदेशक नुपुर रस्तोगी ने अपने व्याख्यान में बहुत ही रोचक ढंग से बताया कि अगर कोई स्थित टफ है तो आप उसे कैसे हैंडेल करेंगे। टफ को उन्होंने उसकी स्पेलिंग के अनुसार विभक्त करते हुए ट्रांसफॉर्म, ऑपरेशन स्किल, अप स्किल, ग्रोथ और हैप्पीनेस के द्वारा कठिन से कठिन परिस्थिति में मुस्कुराकर आगे बढ़ने के बारे में बताया। इसके अलावा उन्होंने सकारात्मकता में वृद्धि के लिए संगीत और रचनात्मक सोच को सहायक बताया।
विवि के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने प्रबंधन विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस वेबिनार पर प्रसन्नता जताते हुए वर्तमान परिस्थिति में इस विषय पर चर्चा को अत्यंत ही महत्वपूर्ण बताया। आगे कहा कि पॉजिटिव सोच के साथ कठिन से कठिन परिस्थिति में सफलता पाई जा सकती है। वेबिनार की अध्यक्ष और प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार ने इस वेबिनार में सभी व्याख्याताओं की उनके उपयोगी व्याख्यानों के लिए प्रशंसा की और और आगे भी इस तरह के वेबिनार आयोजित करने के लिए कहा। वेबिनार के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सुधीर कुमार साहू ने भी वेबिनार के आयोजन पर प्रसन्नता जताई। वेबिनार की संयोजक डॉ. सपना सुगंधा ने वेबिनार का संचालन किया और कार्यक्रम को सफल बताया। प्रबंधन विज्ञान विभाग के शोधार्थी सिद्धार्थ घोष ने सभी व्याख्याताओं, शिक्षकों व उपस्थित विद्यार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
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