*पूर्व विद्यार्थियों ने विभागाध्यक्ष समेत विभाग के शिक्षकों को दिया सफलता का श्रेय*
*कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने पूर्व विद्यार्थियों की राय को केविवि के लिए बताया उपयोगी*
*प्रो. पवनेश कुमार, प्रो.सुधीर कुमार साहू, डॉ. सपना सुगंधा,डॉ.अल्का लल्हाल व कमलेश कुमार आदि शिक्षकों समेत बड़ी संख्या में पूर्व विद्यार्थियों ने की सहभागिता*
(13 मई 2020)
पढ़ाई के दौरान हमें हमारे शिक्षकों का पूरा साथ मिला। हमारे शिक्षक व्यक्तिगततौर पर एक-एक विद्यार्थी की कमजोरियों और ताकत पर ध्यान दिलाते थे। हमें एमबीए की पढ़ाई के दौरान कोर्स के अलावा पर्सनॉलिटी डेवलपमेंट की ओर ध्यान दिलाया गया। कैम्पस प्लेसमेंट से पहले तैयारी का समय हमारे लिए सीखने का बेहतरीन मौका होता था। मुझे याद है जब कैम्पस प्लेसमेंट में बापूधाम मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड में मेरा चयन नहीं हुआ तो मैं बहुत नर्वस थी। मेरे विभागाध्यक्ष मुझसे कहते थे कि तुम चिंता मत करो, आगे की तैयारी करो। तुम्हें इससे भी अच्छी जगह नौकरी मिलेगी। आगे चलकर ये बात बिल्कुल सही साबित हुई। कुछ ही समय बाद मेरे पास एक साथ 4 नौकरियों का ऑफर था। बताते हुए खुशी हो रही है कि आज मैं छत्तीसगढ़ के भिलाई में स्टील अथॉरिटी इंडिया लिमिटेड में काम कर रही हूं। मेरी इस सफलता का श्रेय मेरे शिक्षकों व केविवि को जाता है। ये बातें महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित ऑनलाइन पूर्व छात्र सम्मेलन के दौरान सत्र 2017-19 की पूर्व छात्रा सुष्मिता पाटला ने कही।
इससे पूर्व विवि के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अपने संबोधन में इस आयोजन पर प्रसन्नता ज़ाहिर करते हुए प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष एवं शिक्षकों की प्रशंसा की। प्रो. शर्मा ने कहा कि पूर्व विद्यार्थियों की राय किसी भी विश्वविद्यालय के विकास के लिए महत्वपूर्ण होती है। प्रबंधन विभाग के पूर्व विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने भविष्य में भी इस तरह के संवाद कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही।
2017-19 बैच की पूर्व छात्रा मनीषा कुमारी ने कहा कि मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं कि केविवि के प्रबंधन विज्ञान विभाग में पढ़ने का अवसर मिला। इससे पूर्व मैंने जहां से स्नातक किया था वहां विद्यार्थियों और अध्यापकों के बीच एक गैप रहता था। जबकि यहां शिक्षकों से हम सभी का भरपूर इंट्रैक्शन हुआ। पढ़ाई के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास का अवसर मिला। मेरी कम्युनिकेशन स्किल अच्छी हो गयी। मैंने यूजीसी-जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है और वर्तमान में मैं सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही हूं। मैं जो कुछ भी कर पा रही हूं उसका श्रेय मेरे शिक्षकों को जाता है। उम्मीद है कि मैं सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल कर आप सभी को गर्व का अवसर दूंगी।
अप्पू कुमार नाम के पूर्व छात्र ने कहा कि एमबीए की पढ़ाई के दौरान हमें सैद्धांतिक के साथ-साथ जो व्यवहारिक ज्ञान हासिल हुआ वह हमारे लिए बहुत ही लाभदायक साबित हुआ। मैंने जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्तमान में मैं काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहा हूं। अपने जूनियर साथियों से कहना चाहूंगा कि टेक्नॉलॉजी से रिलेटेड करिकुलम एक्टिविटी करें। शिक्षकों को भरपूर सम्मान देते हुए उनके निर्देशों का पालन करें। सफलता आपके कदम चुमेगी।
अनु कुमारी ने कहा कि केविवि के प्रबंधन विज्ञान विभाग से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। आज मैं राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड में मैनेजमेंट ट्रेनी पद पर कार्यरत हूं। अच्छी ट्रेनिंग के लिए मैं अपने विभागाध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार समेत सभी शिक्षकों का धन्यवाद देती हूं।
2016-18 बैच के न्यूटन ने कहा कि प्रबंधन विज्ञान विभाग में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने समस्ता कंपनी में काम किया। उसके बाद मेरा रुझान थोड़ा बदला और मैं आईबीपीएस द्वारा आयोजित परीक्षाओं में शामिल हुआ। इसके अलावा भी मैंने कुछ अन्य सरकारी नौकरी के लिए प्रयास किया। परिणाम का इंतजार कर रहा हूं। उम्मीद है कि मैं सफलता हासिल करुंगा। जूनियर साथियों से कहूंगा कि लगन के साथ शिक्षकों के मार्गदर्शन के अनुसार अपनी पढ़ाई और भविष्य की तैयारी करें। नकारात्मक सोच वालों से दूर रहें।
सूरज आनंद ने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फ्लिप कार्ट कम्पनी में काम किया। वहां अच्छा अनुभव मिला, उसके बाद खुद का बिजनेस शुरु किया। पढ़ाई के दौरान शिक्षकों ने सीखाया कि जो करना है अभी तय कर लो, बाद में पछताना मत। मुझे खुशी है कि शिक्षकों की बात मेरे काम आई। मैं आज आत्मनिर्भर हूं। मैं आप सभी से कहूंगा कि केवल जॉब के भरोसे मत बैठिये। खुद का बिजनेश शुरु किजिये, आत्मनिर्भर बनिये।
श्याम मनोहर मिश्र ने बताया कि पढ़ाई के दौरान हमें बहुत बढ़ियां ट्रेनिंग मिली। मैं वर्तमान में यूनियन बैंक में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं। लॉकडाउन के दौरान मुझे अपने बैंक में मुझे सोशल डिस्टेंसिंग इंचार्ज बनाया गया है। यह हमारी ट्रेनिंग की ही देन है कि कठिन परिस्थिति में भी मैं बेहतर ढंग से काम कर पा रहा हूं। जूनियर साथियों से कहना चाहूंगा कि खूब मेहनत कीजिये। जहां भी इंटर्न का मौका मिले, जी-जान से काम कीजिये। काम से भागिये मत वर्ना एक दिन काम आपसे दूर हो जाएगा।
सोनम ने बताया कि शुरु में वह एक सामान्य विद्यार्थी थीं। एमबीए की पढ़ाई के दौरान उनके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन आया। वर्तमान में वह एसआईएस, पटना में एचआर एक्जिक्यूटिव के पद पर काम कर रही हैं। अगर केविवि के प्रबंधन विभाग में पढ़ने का अवसर न मिलता तो यह कर पाना उनके लिए संभव नहीं था। पटना में अपने परिवार से दूर रहकर भी सफलतापूर्वक व अपनी ड्यूटी को निभा रही हैं। इसका श्रेय उन्होंने केविवि के प्रबंधन विभाग को दिया और इसके लिए अपने सभी शिक्षकों का आभार जताया।
मिहिर मनोहर ने बताया कि वह केविवि से एमबीए करने के बाद इसी विवि में यूडीसी के पद पर काम कर रहे हैं। ज्वाइनिंग के समय उन्हें उनके विभागाध्यक्ष ने कुछ कड़वी सीख दी थी, जिसे उन्होंने सकारात्मक ढंग से लिया और बहुत जल्द यूजीसी की जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण कर लिया। जूनियर साथियों से उन्होंने कहा कि शिक्षकों के डांट का कभी बुरा नहीं मानना चाहिए। 2017-19 बैच की मेघा सिन्हा ने कहा कि केविवि के प्रबंधन विज्ञान विभाग से पढ़ाई पूरी करना सौभाग्य की बात है। एमबीए के अंतिम सेमेस्टर में बापूधाम मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड में नौकरी करने के दौरान उनका कुछ समय वहां निकल गया। वह सोचती हैं कि काश वह समय उन्हें मिल जाता। सभी शिक्षक बच्चों को व्यक्तिगत तौर पर ध्यान देते हैं। अच्छी ट्रेनिंग के लिए सभी शिक्षकों का उन्होंने आभार जताया।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो.पवनेश कुमार ने सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने वर्ष में दो बार इस तरह के आयोजन कराने का बात कही। उन्होंने विवि के कुलपति प्रो.शर्मा का आभार जताते हुए कहा कि विद्यार्थियों की हौसलाफजाई के लिए वे बड़ी ही सहजता से उपलब्ध हो जाते हैं। अन्य विवि में कुलपति से मिलना आसान नहीं होता। सभी विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि खुशी की बात है कि एमबीए में दी गई ट्रेनिंग आपके काम आ रही है। आप जहां भी हैं उसे शुरुआत मानिये, इसे बहुत बड़ा अचीवमेंट मानकर रुक मत जाइये। एक आईपीएस व आईएफएस अधिकारी का उदाहरण देते हुए बताया कि सफलता के लिए जूनून का होना जरुरी है। जूनून की कमी से ही कई बार हम सफलता के करीब पहुंचकर भी उसका स्वाद चखने से चूक जाते हैं।
प्रबंधन विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ.अल्का लल्हान ने कार्यक्रम का संचालन किया और बीच-बीच में कई रोचक अनुभवों को साझा किया। प्रो. सुधीर कुमार साहू, सह प्रोफेसर डॉ.सपना सुगंधा, डॉ. स्वाति कुमारी, कमलेश कुमार, प्रो. विकास पारीक, आदि शिक्षकों व पूर्व में विभाग में कार्यरत डॉ. अभिजीत विश्वास, डॉ.आदित्य कुमार मिश्रा समेत बड़ी संख्या में पूर्व व वर्तमान विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित रहे।
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