Thursday, May 14, 2020

डेयरी व कृषि जगत के विशेषज्ञों ने केविवि के साथ वेबिनार में किया मंथन


*कहा-डेयरी और कृषि उद्योग ने रखी देश की इज्जत*

*‘कोरोना संकट, कृषि एवं डेयरी: मुद्दे, अवसर और चुनौती’ विषय पर हुई चर्चा*

*केविवि कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने की अध्यक्षता, प्रो. पवनेश कुमार रहे संयोजक*

*एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज, नई दिल्ली, झारखंड स्टेट मिल्क फेडरेशन लिमिटेड, रांची, सुमुल डेयरी, सूरत, बापूधाम मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, मोतिहारी, वेरका मिल्क प्लांट, होशियारपुर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट बायोटेक्नॉलॉजी, आईएआरआई, पूसा, नई दिल्ली से जुड़े दिग्गजों ने दर्ज कराई  मौजूदगी*

(9 मई 2020)
कोरोना संकट के कारण अधिकांश उद्योग-धंधे जब बंद हैं, रोजगार का संकट है, वहीं कृषि प्रधान देश होने कारण ही हम दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कहीं ज्यादा अच्छी स्थिति में हैं। लॉकडाउन के कारण जब रेल, जहाज, सड़कमार्ग, स्कूल-कॉलेज, कार्यालय, कल-कारखाना, दुकानें सब कुछ बंद करनी पड़ी। इस विषम परिस्थिति में भी डेयरी और कृषि उद्योग ने ही पूरे देश की इज्जत रखी। ये बातें सुमुल डेयरी, सूरत, गुजरात के प्रबंध निदेशक एसवी चौधरी ने शनिवार को महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा ‘कोरोना संकट, कृषि एवं डेयरी: मुद्दे, अवसर और चुनौती’ विषय पर आयोजित वेबिनार में कहीं। आगे कहा कि लॉकडाउन में डेयरी उद्योग के सामने भी कई चुनौतियां आईं। गांवों से दूध कलेक्शन और चारा लाने के लिए ट्रांसपोर्ट का मुद्दा, लेबर का मुद्दा और सब कुछ के बाद दूध के लिए मार्केट का बड़ा मुद्दा सामने आया है। लॉकडाउन में चाय की दुकान, मिठाई की दुकान, होटल, रेस्टोरेंट और ढाबों पर ताला लग गया है। सवाल आया कि इतने दूध का किया क्या जाए? ऐसी स्थिति में कोआपरेटिव वालों ने पशुपालकों को निराश नहीं किया। लोगों से फीडबैक लिया जाए तो कह रहे हैं कि डेयरी उद्योग ने बहुत अच्छा काम किया है। लिक्विड दूध, दही, श्रीखंड आदि बेचने पर ध्यान रहता था लेकिन लॉकडाउन के दौरान और क्या कर सकते हैं ये सोचने के लिए मौका मिला। लॉकडाऊन में सब्जी के खेती करने वालों का भारी नुकसान हुआ। हमने इस समस्या को समझा और जिस तरह सुमुल 1250 गांवों से दूध कलेक्ट करता था, उसी तरह गांवों से सब्जी लेकर पैक करके उपभोक्ताओं को ताजी सब्जी पहुंचायी जा रही है। किसानों को उनका उचित मूल्य दिया जा रहा है।

इससे पूर्व विवि के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अपने स्वागत वक्तव्य में सभी विशेषज्ञों व सहभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत के 40 केंद्रीय विवि में अपने विद्यार्थियों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से जुड़ने और कार्यक्रम करने में हम सबसे आगे हैं। ई-विमर्श के द्वारा हमने बहुत सारे शिक्षकों के व्याख्यान कराए हैं। फेसबुक लाइव के द्वारा भी बहुत सारे विद्वानों से पारंपरिक विषयों के साथ-साथ इस समय के आवश्यक विषयों पर व्याख्यान कराकर विद्यार्थियों को लाभान्वित किये हैं। 200 से ज्यादा सहभागियों के वेबिनार से जुड़ने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दीं।

एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज, नई दिल्ली के प्रबंध निदेशक, डॉ ओमवीर सिंह ने अपने संबोधन के शुरुआत में केविवि परिवार को बधाई देते हुए कहा कि इतने कम समय में 200 से ज्यादा सहभागियों को जोड़कर इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कराने का प्रसंशनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बहुत ही विस्तार से बताया कि कोविड-19 वायरस आने के बाद हमारे कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा है? इस महामारी से हमारे सामने क्या चुनौतियां हैं और क्या अवसर दिखाई दे रहे हैं? आगे कहा कि कोरोना का दखल हमारे देश में मार्च के मध्य में हुआ। एक तरफ लॉकडाउन की वजह से मजदूर कम हो गये तो दूसरी तरह जहां मैकेनाइज्ड हार्वेस्टिंग होती थी वहां मशीनों के खराब हो जाने, रिपेयरिंग न हो पाने से दिक्कत हुई। समय रहते जिन स्थानों पर मजदूर वापस लौट गये वहां कृषि कार्य आसान हो गया।
उन्होंने विवि के कुलपति से आग्रह किया कि इस बात पर चर्चा करायी जाए कि 6 करोड़ प्रवासी जो दूसरे राज्यों में काम करते हैं। इनकी क्या स्थिति व व्यवस्था रही होगी जो इतने दूर से कोई साईकिल, कोई रिक्शा और पैदल अपने घर के लिए निकलने लगा। यह नहीं सोचा कि इतनी दूर जाएंगे कैसे? अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि हम-पढ़े लिखे लोग उन्हें भरोसा नहीं दिला पाए कि हम तुम्हें मरने नहीं देंगे!
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट बायोटेक्नॉलॉजी, आईएआरआई, पूसा, नई दिल्ली के निदेशक प्रो.नगेंद्र कुमार सिंह ने कहा कोरोना संकट के इस दौर में कृषि क्षेत्र का महत्व सबको पता चल गया है। आज सारी दुकानें, मॉल्स और इंडस्ट्री बंद हैं लेकिन कृषि क्षेत्र खुला है। हमारे दैनिक जीवन की मूलभूत चीजें अन्न, दूध, सब्जी है। ये कृषि से ही मिलती हैं। आगे की स्थिति के बारे में कहा कि कोरोना का संकट क्षणिक है। स्थिति सामान्य होने के बाद लोग फिर शहरों की ओर आएंगे। कृषि पर आधारित जनसंख्या घटेगी, औद्योगिकरण बढ़ेगा। जब समस्या खत्म हो जाएगी. तो लोग जहां उद्योग है वहीं आएंगे, रोजगार वहीं हैं।

झारखंड स्टेट मिल्क फेडरेशन लिमिटेड, रांची के प्रबंध निदेशक सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि लॉकडाउन हुआ तो काफी परेशानी हुई। पहले तो लोग जानते थे कि झारखंड में दूध है ही नहीं। ये माना जाता था कि दूसरे राज्य से दूध आएगा तभी यहां चाय बनेगी। बाद में डेयरी उद्योग में प्रयास हुए, किसान जुड़ने लगे। हम अपना क्षेत्र बढ़ा ही रहे थे कि अचानक कोविड-19 आ गया और अचानक 30 प्रतिशत काम बढ़ गया। उसके पहले हम सोच रहे थे कि हम आपूर्ति कैसे करें। एक रात में दुनिया बदल गयी। सरकार के मिड डे मील योजना से जुड़ने का आश्वासन मिला। विपरीत परिस्थिति में भी हमनें किसानों तक नकारात्मक मैसेज नहीं जाने दिया। सकारात्मक दृष्टि अपनाने पर सबको लगा कि यह भी एक मजबूत क्षेत्र है। जो मजदूर बाहर से आ रहे हैं कह रहे हैं अब हम वापस नहीं जाएंगे। अगर वे जानवर खरीद लेते है तो दूसरे ही दिन से उनकी आमदनी का जरिया शुरु हो जाता है। चुनौती के साथ यह एक जबरदस्त अवसर भी है।

बापूधाम मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी, लिमिटेड, मोतिहारी के सीईओ, संदीप अंटील ने कहा कि लॉकडाउन की स्थिति में हमने बहुत कुछ झेला है तो कुछ सीखा भी है। हम लोग भाग्यशाली हैं कि अपनी डेयरी चलाने में सफल रहे। हमें किसानों का भी एंगल समझने की जरुरत है। हमारी डेयरी 52 हजार किसानों से जुड़ी है। हमें नजदीक से उनकी बात समझने का अवसर मिला है। पहले कहा जाता था कि हम अपने बच्चों को कृषि या डेयरी में नहीं आने देंगे। लेकिन पिछले एक महीने में यही सुनने में आया कि डेयरी और कृषि ही चलने वाला है। बिजनेस आगे बढ़ाने के लिए हम लोगों को थोड़ा अलग सोचना पडेगा।

वेरका मिल्क प्लांट, होशियारपुर के महाप्रबंधक, असीत शर्मा ने कहा कि कोरोना संकट में हमने धैर्य से काम लिया। पशुपालकों का एक भी लीटर दूध नुकसान नहीं होने दिया। हमारे कर्मचारी, ड्राईवर व सहयेगी डरे हुए थे। हमने सभी को प्रोत्साहित किया। सरकार की तरफ से कहा गया कि आप लोग भी कोरोना वारियर्स हो। सभी ने तय किया कि किसानों को झटका नहीं लगना चाहिए। अंत में कहा कि जब तक कोरोना का वैक्सिन तैयार नहीं हो जाता, तब तक मानना चाहिए कि यही स्थिति रहने वाली है। उसको ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ना होगा।

कार्यक्रम के संयोजक व प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. पवनेश कुमार ने विषय का परिचय दिया और सहभागियों से विशेषज्ञों का परिचय कराया। प्रो. सुधीर कुमार साहू वेबिनार के सह-संयोजक रहे। वेबिनार का संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ. अल्का लल्हाल ने किया और सह प्रोफेसर डॉ. सपना सुगंधा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस वेबिनार में केविवि के प्रो.राजीव कुमार, प्रो. आनंद प्रकाश, प्रो.विकास पारीक, डॉ. बृजेश पाण्डेय, डॉ. दिनेश व्यास, डॉ.स्वाति कुमारी, कमलेश कुमार, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के डॉ.आदित्य कुमार मिश्रा समेत बड़ी संख्या में शिक्षकों, जानी-मानी डेयरियों के अधिकारी-कर्मचारी, कृषि जगत से जुड़े देश के विशेषज्ञों व विद्यार्थियों ने उपस्थिति दर्ज कराई।

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