*प्रो. नवीन कुमार शर्मा, डॉ.शिव प्रताप सिंह व डॉ.वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने सतत विकास को बताया मजबूत विकल्प*
*केविवि के वाणिज्य एवं प्रबंधन विज्ञान संकाय के तत्वावधान में हुआ आयोजन*
*प्रो. पवनेश कुमार ने की अध्यक्षता, प्रो. त्रिलोचन शर्मा रहे उपाध्यक्ष, डॉ.अल्का लल्हाल व डॉ.शिवेंद्र सिंह रहे आयोजन सचिव*
(6 मई 2020)
महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंधन विज्ञान विभाग के तत्वावधान में पर्यावरण और सतत विकास विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के प्रोफेसर नवीन कुमार शर्मा ने प्रथम वक्ता के तौर पर कहा कि कोरोना एक विश्वव्यापी महामारी है। अलग-अलग देशों ने इससे निपटने में अपने-अपने तरीके अपनाए। इसकी वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, यात्रा और आर्थिक आदि क्षेत्रों में अनपेक्षित स्थिति आ गई। यह बीमारी कैसे हुई इस पर चर्चा की जरुरत नहीं है। हमारी प्रतिक्रिया क्या रही और आगे हमारी प्रतिक्रिया किस तरह की होनी चाहिए इस पर विचार किया जाना चाहिए। इससे भारत ही नहीं प्रभावित है बल्कि दुनिया के तमाम देशों की जीडीपी माइनस में चली गयी। अपनी खोयी हुई इकोनॉमी फिर से रिकवर की जाए इसके लिए हमारी प्रतिक्रिया बिल्कुल स्पष्ट होनी चाहिए। हमें ग्रोथ एजेंडा बनाना होगा और सतत विकास की ओर बढ़ना होगा। जब तक हम पर्यावरण के मुद्दे पर सामाजिक सम्मति के साथ ध्यान नहीं देंगे तब तक विकास का मॉडल ठीक नहीं होगा। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का जिक्र करते हुए कहा कि हमें इन्हें लागू करना होगा। कोरोना के उपचार पर कहा कि इसके खिलाफ शुरुआती रेस्पांस रिएक्टिव टाइप का रहा है। ऐसी बीमारियों को हमने कभी एजेंडा के तौर पर नहीं लिया। पहले भी इस तरह के हादसे हुए हैं किंतु हमने इन्हें लोकल प्रॉब्लम मान लिया। कोरोना के शुरुआती समय तो ये मान लिया गया कि ये चीन के वुहान तक ही सीमित है। आगे कहा कि पर्यावरण, बीमारी की प्रवृत्ति और अर्थव्यवस्था तीनों एक दूसरे से जुड़े हैं। कोरोना फैलसे के दरम्यान कार्बन का उत्सर्जन कम हुआ है। एनर्जी की डिमांड कम हुई है। हम जैसे ही इकोनॉमी रिकवरी शुरु करेंगे, दुबारा ये समस्याएं या यही स्थिति में आ जाएगी। स्थायी समाधान के लिए अर्थव्यवस्था में पर्यावरण को स्थान देना होगा। हमारे कदम ऐसे होने चाहिए जो इनवायर्मेंट फ्रेंडली हों। पॉलिसी मेकर्स और शोध से जुड़े लोगों के लिए यह एक चुनौती है कि ऐसी टेक्नालॉजी लाएं जिसमें एनवायरमेंट कम से कम प्रभावित हो। गंभीरता से विचार करें तो हम पाएंगे कि इन दिनों माइग्रेशन बढ़े हैं। माइग्रेशन का क्या रोल है बीमारी के फैलने में और बीमारी की क्या भूमिका है अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में, यह बिंदु विचारणीय है। बीमारी फैलने में युद्ध और आतंकवाद का भी योगदान है। पाकिस्तानी आतंकवादियों से सीरिया में पोलियो फैला।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि एवं अभियांत्रिकी विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शिव प्रताप सिंह ने अपने व्याख्यान में कहा कि विकास के लिए पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचना चाहिए। हम कृषि आदि कार्यों में ट्रैक्टर व डीजल इंजन इस्तेमाल करते हैं जिनसे भारी मात्रा में कार्बन उत्पन्न होता है। हमें पारंपरिक ऊर्जा की जगह वैकल्पिक ऊर्जा की ओर ध्यान देना होगा। इसे हम इस नजरिये से हम समझ सकते हैं कि हम टेक्नालॉजी को कैसे विकसित करें कि पर्यावरण संतुलित रहे। हम बैट्री के जरिये भी कुछ मशीनों को चलाएं तो हम पर्यावरण पर दबाव कर सकते हैं। बैट्री तैयार करने की जो प्रणाली है वहां भी ऊर्जा खत्म हो रही है तुलनात्मक रुप से पूरी प्रक्रिया को देखें तो यह पारंपरिक ऊर्जा से कम है। वैक्सिन के साइड इफेक्ट के सवाल पर कहा कि हां कुछ समस्याएं हैं लेकिन लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि वैक्सिन ने कई मौकों पर त्वरित रुप से बहुत सारी जिंदगियां बचाई हैं। एलोपैथिक दवाओं के भी साइड इफेक्ट्स हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन सवाल है कि कब तक कोरोना जैसी बीमारी के डर से हम सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रखें। हमारे सामने कई चुनौतियां हैं जैसे वैक्सिन को एक स्टैंडर्ड कंडीशन में रखना पड़ता है। कई बच्चे इसकी वजह से बोलना देर से शुरु करते हैं। लेकिन वैक्सिन ही है जो बड़ी संख्या में लोगों को मरने से बचाएगा।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के पर्यावरण एवं सतत विकास विभाग के सह-प्रोफेसर डॉ.वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि भारत में सतत विकास सिर्फ प्रचलन में ही नहीं है बल्कि यह हमारी जीवन पद्धति रही है। लेकिन वर्तमान में हम विकास की दौड़ में हैं और अपने प्राकृतिक संसाधनों को खो रहे हैं। जैसे हर व्यक्ति की अपनी प्रतिरोधक क्षमता होती है। जब तक क्षमता से अधिक कोई समस्या नहीं हो जाती या जब तक हम बीमार नहीं हो जाते तब तक हम नहीं जान पाते कि कुछ गलत हो रहा है। ठीक यही प्रक्रिया प्रकृति के साथ भी है। भारत के गौरवपूर्ण परंपरा की बात करते हुए कहा कि भारतीय मानव मूल्य सतत विकास से जुड़े हुए हैं। कोरोना वायरस जैसी स्थिति हमारे लिए चेतावनी है। इससे निपटना बहुत सरल भी है बहुत कठिन भी है। पहले हमारे दादी-नानी के जमाने में घर के अंदर खास तौर से किचन के अंदर चप्पल पहनकर जाना मना था। हमारे बुजुर्ग जब बाहर से आते थे तो पहने हुए कपड़े उतारकर नहाते थे, तभी घर में आते थे। हमें उन तरीकों का सम्मान करना चाहिए। मानवता जब संकट में आती है तब ही इन बातों की चर्चा होती है कि क्या करें और क्या ना करें? कोरोना को खत्म करने के लिए अगर किसी वैक्सिन या दवा की खोज हो जाए तो इस बात की चर्चा बंद हो जाएगी कि यह वायरस कैसे आया, क्यों फैला? जबकि विकास के लिए अब जो भी योजना बने उसके केंद्र में पर्यावरण और सतत विकास होना चाहिए। बाढ़ और भूकंप आ जाने के बाद की स्थितियों से निपटने के लिए हमारे पास कुछ मैकेनिज्म होता है लेकिन कोरोना बिल्कुल अनपेक्षित समस्या है। विश्व व्यवस्था में सुपरपावर तक कोरोना के आगे असहाय है। हमारी अर्थव्यवस्था ऐसी नहीं है कि हम लॉकडाउन जैसी स्थिति को लम्बे समय तक झेल सकें। पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, पर्यावरण बदल रहा है। आज कोरोना है कल कुछ और हो सकता है। हमें इसके बारे में पहले से सोचना होगा और सतत विकास मॉडल अपनाना होगा। अर्थतंत्र, पॉलिसी मेकर, विश्वविद्यालयों को इस दिशा में सोचना पड़ेगा।
केविवि कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने विवि द्वारा लगातार उपयोगी विषयों पर वेबिनार आयोजित होने पर प्रसन्नता जाहिर की और उम्मीद जताई कि व्याख्यान में सामने आई बातों को लोग अपने जीवन में उतारेंगे। बेविनार के अध्यक्ष व वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय के अधिष्ठाता डॉ. पवनेश कुमार ने सभी व्याख्याताओं की भूरि-भूरि प्रसंशा की और इस उपयोगी विषय पर चर्चा के लिए सभी व्याख्याताओं एवं सहभागियों को बधाई दी। वेबिनार के उपाध्यक्ष व वाणिज्य विभाग के प्रो. त्रिलोचन शर्मा ने इस वेबिनार का हिस्सा होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। आयोजन सचिव डॉ.अल्का लल्हाल और डॉ.शिवेंद्र सिंह ने क्रमशः कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन किया। इस वेबिनार में सह-प्रोफेसर डॉ. सपना सुगंधा, कमलेश कुमार, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के डॉ. आदित्य कुमार मिश्रा आदि शिक्षक व अर्पित वर्मा, शैलेष रंजन, खुशी पोद्दार, अभिषेक जायसवाल, तुषार आर्या समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment